Was reading an article in TOI by Aakar Patel about Pakistanization of India.
He ends the article with this poem by Urdu poetess Fahmida Riaz from Pakistan
तुम बिलकुल हम जैसे निकले
अब तक कहाँ छुपे थे भाई
वो मूर्खता वो घमारपन
जिस में हम ने सदी गवाईं
आखिर पहुंची द्वार तुम्हारे
अरे बधाई हो बधाई
He ends the article with this poem by Urdu poetess Fahmida Riaz from Pakistan
तुम बिलकुल हम जैसे निकले
अब तक कहाँ छुपे थे भाई
वो मूर्खता वो घमारपन
जिस में हम ने सदी गवाईं
आखिर पहुंची द्वार तुम्हारे
अरे बधाई हो बधाई
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